Sunday, February 3, 2013

mai tab tak intazaar karungi

 पता नहीं ये शाम इतनी तनहा है या मुझमे ही कुछ सूनापन है। चुपचाप बैठ कर परिंदों का घर लौटना देख रहे है। सब मुझसे कहते है की एक दिन खूबसूरत सुबह तुम्हारी हर चाहत पूरी कर देगी ,खुशियों की बारिश मन भर देगी। मगर मै जानती हू की वो सुबह लम्बी शाम के बाद आयेगी, साथ में हर एक मुस्कराहट का हिसाब लाएगी। कैसे दूँगी मै वो हिसाब क्या होगा ज़िन्दगी का ज़वाब? 
                                  फिर भी मै खुश हूँ की एक दिन  ऐसा वक़्त भी आयेगा जब सब कुछ बदल जायेगा, कोई ख्वाहिश न होगी उस दिन मेरी ,कोई खुशिया जरुरी न होंगी ,कोई चाहत न पूरी होनी होगी, कोई अधूरापन भी न होगा। तब मै  उससे जी भर के मिलूंगी, शायद खिलखिला के  पहली बार हसूंगी। शिकवा होगा की आने में इतनी देर क्यूँकी? 
और फिर कोई शिकायत बाकि न रहेगी .

मै तब तक इंतज़ार करुँगी .................

2 comments:

  1. Aise feelings 2 hi conditions me hoti hai 1. Jab boy friend ho fir bhi kuch khalish si lage... 2. jab insan Vairagya ki ore badhta hai ..Sadhvi Arpita... :-)

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  2. Dear Arpita, I am well agreed with Rajiv Ji....
    However very touchy line, appreciate your marvelous thoughts.

    Be happy and keep it up, one day all your dreams surely come true.

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