Tuesday, February 12, 2013

andhvishwas hai kya Ganga??? ya fir............

महा कुम्भ के महा स्नान को मैंने बहुत ही करीब से  महसूस किया, वो एक ऐसा समय था जब संपूर्ण भारत अपनी एकता एवं श्रद्धा के अभिभूत होकर पवित्र गंगा के समीप एकत्र हुआ। मैंने इसके पहले कभी भी गंगा स्नान नहीं किया था हालाँकि गंगा जी के पास जाने का अवसर तो कई बार मिला मगर मैं हमेशा यही सोचती थी की क्या गंगा में केवल डुबकी लगाने भर से ही पाप धुल जाते है और उसके बाद हम और पाप करने के लिए तैयार हो जाते है?  आखिर में गंगा स्नान क्या सिर्फ एक अन्धविश्वास है या फिर अध्यात्म, सिर्फ इतने से क्या हमारे पाप ख़त्म हो जायेंगे या फिर इसके साथ कुछ और भी जुड़ा है जो हम देख नहीं पा रहे है। और इसके बाद जो मुझे समझ में आया वो अद्भुत है।
 4 करोड़ की आबादी वाले संगम पर हर तरफ मैंने देखा की 100 में से 90 % वो लोग है जो निम्न वर्ग में आते है। ऐसे में वो बिना सोचे समझे एक सनक में आते है की मोक्ष मिलेगा , शायद उन्हें इसका मतलब भी नहीं पता होता है। 5% अन्य लोग होते है जो की एक दिन के लिए गंगा जी के लिए अपनी भक्ति क साथ आते है और 5% विदेशी होते है जिनके लिए ये सब बहुत रोमांचकारी होता है।
90% वाली जन संख्या 5 से लेकर महीने भर रुकने की तैयारी से आती है और वे स्वयं की सुरक्षा करने में पूरी तरह से असमर्थ होते है। मैं  इस बात का पक्ष नहीं ले रही की सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है मगर मैं  इस बात को सही भी नहीं मान सकती की इतनी बड़ी संख्या में आये लोगों की अपने प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं होती है बल्कि जब तक आप अपनी सुरक्षा के लिए खुद तैयार न हो तब तक दूसरे किसी के भी भरोसे इतने बड़े खतरे में खुद को कैसे डाल सकते है? इसके साथ ही एक ऐसा प्रवाह आता है जिसको बयान करना बहुत कठिन है। और जब मैं उस वक़्त को याद करती हूँ तो सिहरन सी महसूस होती है, मेरे साथ चलने वालो की चीखे वो बाबा जी जिन्होंने ने मुझे देखा मगर मैं कुछ नहीं कर पायी क्यूंकि अचानक जैसे आँखों  के सामने कुछ था ही नहीं। समझ में नहीं आता की मैं बची कैसे और जो नहीं बचे उनके लिए क्या था गंगा दर्शन ??
मगर इतना जरूर समझ में आया की गंगा माँ है जिसके लिए हम सब बराबर है, हम अपने शरीर को धुल कर माँ को गन्दा कर देते है न की उसका जल अपने ऊपर छिड़क कर अपना मन पवित्र  करते है। मोक्ष सनक से नहीं प्राप्त होता है बल्कि विचारो की शुद्धता से प्राप्त होता है। यही गंगा दर्शन है।

1 comment:

  1. Thanks to publish this post, really very interested and we are very regret for that mishap their.

    Jai Ganaga Maiya....Sat-Sat Naman!!!

    ReplyDelete