Saturday, February 23, 2013

bhagwan se direct contact hai ,,,,,,

प्रवचन एक ऐसा शब्द है जिसका आस्था  से बहुत गहरा सम्बन्ध है, उसी तरह जैसे आस्था से भक्त का और भक्त से इश्वर का। महाकुम्भ में मैं  एक दिन टहलते हुए मनुष्य के विभिन्न रंगों को देख रही थी की अचानक मेरी नज़र एक पोस्टर पे आकर अटक गई . पोस्टर एक बाबा जी का था और बाबा जी की उम्र होगी कोई 3 5 से 4 0 के बीच। मैंने सोचा की इन्हें  इस उम्रे में  बाबा जी या संत बनने की क्या जरुरत पड़ गयी और फिर इस उम्र में इतना ज्ञान कहा से आ गया की दुनिया इन्हें पूज रही है। अक्सर दादी को टी .वी . ऐसे ही महापुरुषों को सुनते देखते थे, सोचा चलो इनकी कम से कम शक्ल अच्छी है इसी बहाने सुन के देखते है की आखिर ये प्रवचन होता क्या  है?
मैं पंडाल में जाके बैठ गई, पंडाल भी आलीशान मतलब महंगा।  बाबा जी की गद्दी बड़ी ऊची ,सोचा जरुर बाबा जी भी बहुत ज्ञानी है। थोड़ी देर बाद पंडाल भर गया मगर बाबा जी नदारद, समझ में आया बाबा जी माहौल बना रहे है। आखिर बड़े बाबा जी है, यही सोच के मैं कुछ देर के लिए बाहर आ गई। 
" देखती क्या हू !!! बाबा जी फ़ोर्चूनर से आ रहे है और फिर धीमे से उनकी बड़ी महंगी गाड़ी पंडाल के पीछे गुम हो जाती है और गेट बंद हो जाता है.
मैं अश्चर्य चकित सी बाहर खड़ी सोचती हू " इतना पैसा एक संत के पास और हर संत के पास। ये प्रवचन है या प्रवचन का धंधा।" --- थोड़ी देर बाद प्रवचन शुरू होता है तो फिर वही नज़ारा, गरीब नासमझ लोगो से पूरा पंडाल भरा था। जिन्हें शायद ही बाबा जी की बात में कोई दिलचस्पी हो या फिर बाबा जी की वही पुरानी  घिसी पीटी  लेकिन ठीक  ठाक  बात को अपने जीवन में उतरने का कोई मन। 
सामने वही उपदेश चल रहा था जिसे हम अपने जन्म से लेकर मरने तक हजारों बार सुनते हैं मगर सिर्फ उन उपदेशो से ये संत करोड़ो  कम लेते हो ये बात गले नहीं उतरती। असल चेहरा तो कुछ और है या फिर यूँ  कहे की शायद सबसे ज्यादा इन्ही लोगों को पता है की इश्वर के नाम का सही जगह पर और सही समय पर उपयोग  कैसे किया जाता है ?  गद्दी पर बैठे तो संत हो गए, और फिर देश की सत्ता को तय करने लगे तो राजनीतिज्ञ हो गए। और उसी से आता है ये करोड़ो रूपया, और हम जैसे मूर्ख लोग सोचते है की भगवान से बाबा जी का डायरेक्ट कांटेक्ट है।  

Tuesday, February 12, 2013

andhvishwas hai kya Ganga??? ya fir............

महा कुम्भ के महा स्नान को मैंने बहुत ही करीब से  महसूस किया, वो एक ऐसा समय था जब संपूर्ण भारत अपनी एकता एवं श्रद्धा के अभिभूत होकर पवित्र गंगा के समीप एकत्र हुआ। मैंने इसके पहले कभी भी गंगा स्नान नहीं किया था हालाँकि गंगा जी के पास जाने का अवसर तो कई बार मिला मगर मैं हमेशा यही सोचती थी की क्या गंगा में केवल डुबकी लगाने भर से ही पाप धुल जाते है और उसके बाद हम और पाप करने के लिए तैयार हो जाते है?  आखिर में गंगा स्नान क्या सिर्फ एक अन्धविश्वास है या फिर अध्यात्म, सिर्फ इतने से क्या हमारे पाप ख़त्म हो जायेंगे या फिर इसके साथ कुछ और भी जुड़ा है जो हम देख नहीं पा रहे है। और इसके बाद जो मुझे समझ में आया वो अद्भुत है।
 4 करोड़ की आबादी वाले संगम पर हर तरफ मैंने देखा की 100 में से 90 % वो लोग है जो निम्न वर्ग में आते है। ऐसे में वो बिना सोचे समझे एक सनक में आते है की मोक्ष मिलेगा , शायद उन्हें इसका मतलब भी नहीं पता होता है। 5% अन्य लोग होते है जो की एक दिन के लिए गंगा जी के लिए अपनी भक्ति क साथ आते है और 5% विदेशी होते है जिनके लिए ये सब बहुत रोमांचकारी होता है।
90% वाली जन संख्या 5 से लेकर महीने भर रुकने की तैयारी से आती है और वे स्वयं की सुरक्षा करने में पूरी तरह से असमर्थ होते है। मैं  इस बात का पक्ष नहीं ले रही की सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है मगर मैं  इस बात को सही भी नहीं मान सकती की इतनी बड़ी संख्या में आये लोगों की अपने प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं होती है बल्कि जब तक आप अपनी सुरक्षा के लिए खुद तैयार न हो तब तक दूसरे किसी के भी भरोसे इतने बड़े खतरे में खुद को कैसे डाल सकते है? इसके साथ ही एक ऐसा प्रवाह आता है जिसको बयान करना बहुत कठिन है। और जब मैं उस वक़्त को याद करती हूँ तो सिहरन सी महसूस होती है, मेरे साथ चलने वालो की चीखे वो बाबा जी जिन्होंने ने मुझे देखा मगर मैं कुछ नहीं कर पायी क्यूंकि अचानक जैसे आँखों  के सामने कुछ था ही नहीं। समझ में नहीं आता की मैं बची कैसे और जो नहीं बचे उनके लिए क्या था गंगा दर्शन ??
मगर इतना जरूर समझ में आया की गंगा माँ है जिसके लिए हम सब बराबर है, हम अपने शरीर को धुल कर माँ को गन्दा कर देते है न की उसका जल अपने ऊपर छिड़क कर अपना मन पवित्र  करते है। मोक्ष सनक से नहीं प्राप्त होता है बल्कि विचारो की शुद्धता से प्राप्त होता है। यही गंगा दर्शन है।

Monday, February 4, 2013

"NO SETTLEMENT :) NO SATURATION"

The best thing about life that you never know what is going to happen next? and i enjoy it the most. Especially the "shocks", sometimes they are the worst happen to your life and sometimes so so also. and if you are lucky then only you get happiness...otherwise start your journey and enjoy the life trip.
                                                                         Its stunning that what is going to happen next and the flavor comes when you nearly know that life is blessing you or cursing you, in both cases suspense is the thrill. Its not obvious that everybody would enjoy it but this attitude help me to overcome........Its my deal with life-
"NO SETTLEMENT :) NO SATURATION"

I enjoy the happiness with lots of thanks to life and quarrel with it when i get furious,,,,,,,,,its personal n i m not going to tell you about our personal discussion.........

Sunday, February 3, 2013

mai tab tak intazaar karungi

 पता नहीं ये शाम इतनी तनहा है या मुझमे ही कुछ सूनापन है। चुपचाप बैठ कर परिंदों का घर लौटना देख रहे है। सब मुझसे कहते है की एक दिन खूबसूरत सुबह तुम्हारी हर चाहत पूरी कर देगी ,खुशियों की बारिश मन भर देगी। मगर मै जानती हू की वो सुबह लम्बी शाम के बाद आयेगी, साथ में हर एक मुस्कराहट का हिसाब लाएगी। कैसे दूँगी मै वो हिसाब क्या होगा ज़िन्दगी का ज़वाब? 
                                  फिर भी मै खुश हूँ की एक दिन  ऐसा वक़्त भी आयेगा जब सब कुछ बदल जायेगा, कोई ख्वाहिश न होगी उस दिन मेरी ,कोई खुशिया जरुरी न होंगी ,कोई चाहत न पूरी होनी होगी, कोई अधूरापन भी न होगा। तब मै  उससे जी भर के मिलूंगी, शायद खिलखिला के  पहली बार हसूंगी। शिकवा होगा की आने में इतनी देर क्यूँकी? 
और फिर कोई शिकायत बाकि न रहेगी .

मै तब तक इंतज़ार करुँगी .................