ज़िन्दगी में कभी कभी आप अपने आप को बिलकुल अँधेरे में महसूस करते है , एक घना गहरा अँधेरा और तब सारी उम्मीदें मर जाती है और ऐसा लगता है जिसके बाद अब कभी सुबह नहीं होगी।
मुझे भी ऐसा ही महसूस होता था मगर अचानक लगा की ये अँधेरा ऐसी उर्जा है जिसमे अनगिनत किरने कैद है। क्यूंकि जब आप अपने आस पास इतना अँधेरा महसूस करते है तो आपकी सारी अन्य इन्द्रियां काम करने लगती है , ऐसे समय में मुझे सब कुछ आसान लगता है क्यूंकि तब उसमे गलत होने की कोई गुंजाईश ही नहीं होती है। काले पर और कौन रंग चढ़ेगा, और फिर जब मैं इस अँधेरे में कुछ वक़्त गुज़ार लेती हु तो मुझे सब कुछ साफ़ दिखने लगता है।
उर्जा से मिलती है शक्ति और फिर इंतज़ार होता है समय की घड़ियों के अपनी जगह से सरकने का। मैं अक्सर सोचती हूँ की हर पल कैसे जिया जा सकता है दुखों के साथ, हर पल एक नई मुसीबत और फिर कोई हल नहीं। मगर अगर इसी अँधेरे में घुल जायेगा आपका दिमाग, तो आते है नये विचार और फिर से शुरू होता है नया सफ़र , वही पुराना सफ़र मगर नयी शुरुआत के साथ। मगर कुछ समय के लिए क्यूंकि फिर से यही काले अँधेरे की उर्जा लौट के आती है।
मैं इसे ज़िन्दगी की मजबूरी कहती हूँ , वक़्त कहती हूँ , स्वाद कहती हूँ , रंग कहती हूँ , मौसम कहती हूँ।
मुझे भी ऐसा ही महसूस होता था मगर अचानक लगा की ये अँधेरा ऐसी उर्जा है जिसमे अनगिनत किरने कैद है। क्यूंकि जब आप अपने आस पास इतना अँधेरा महसूस करते है तो आपकी सारी अन्य इन्द्रियां काम करने लगती है , ऐसे समय में मुझे सब कुछ आसान लगता है क्यूंकि तब उसमे गलत होने की कोई गुंजाईश ही नहीं होती है। काले पर और कौन रंग चढ़ेगा, और फिर जब मैं इस अँधेरे में कुछ वक़्त गुज़ार लेती हु तो मुझे सब कुछ साफ़ दिखने लगता है।
उर्जा से मिलती है शक्ति और फिर इंतज़ार होता है समय की घड़ियों के अपनी जगह से सरकने का। मैं अक्सर सोचती हूँ की हर पल कैसे जिया जा सकता है दुखों के साथ, हर पल एक नई मुसीबत और फिर कोई हल नहीं। मगर अगर इसी अँधेरे में घुल जायेगा आपका दिमाग, तो आते है नये विचार और फिर से शुरू होता है नया सफ़र , वही पुराना सफ़र मगर नयी शुरुआत के साथ। मगर कुछ समय के लिए क्यूंकि फिर से यही काले अँधेरे की उर्जा लौट के आती है।
मैं इसे ज़िन्दगी की मजबूरी कहती हूँ , वक़्त कहती हूँ , स्वाद कहती हूँ , रंग कहती हूँ , मौसम कहती हूँ।
और मै इसे कहता हूँ सकारात्मक सोच ... वीर तुम बढे चलो
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