Thursday, March 21, 2013

rango ka tyhaar hai ye ,,,,,,

होली का त्यौहार फिर से आ  गया, ढेर सारे चटकीले रंग मगर अब हम और हमारा समाज इन रंगों की चमक और मिठाई की मिठास से बहुत आगे निकल चुका है। एक तरह से देखा जाये तो अब हम इतने ज्यादा विकसित हो चुके है की हमें होलिका दहन में बुराइयों  का अंत नहीं  बल्कि नफरत की आग नज़र आती है। एक दुसरे से गले मिलकर शिकवे मिटने की जगह ,गले लग कर छुरा भोकने में बदल गई है। खून का रंग सब रंगों से ज्यादा भारी हो गया है जिसमे की हर कोई अपने हाथ रंग लेना चाहता है। 
कुछ समझने की कोशिश में सब आपस में उलझ जाता है,  इसी उलझन में हम और हमारा जीवन ख़त्म होता जा रहा है . जो त्यौहार हमें एक करने के लिए बने है उन्ही से कोई सीख लेकर क्यों नहीं जीना सीखते है हम।
शायद इसी को डेवलपमेंट कहते है जब दिमाग जमीनी बातों को समझना छोड़ देता है और भ्रष्टाचार, आतंक , और लचर सोच का हो जाता है।
आज हम ऐसी जगह पर रह रहे है जहा कोई भी कभी भी किसी को सरे आम मार सकता है, उसका खून तक कर सकता है, घर से निकलते समय लौटने का पता नहीं क्युकी कही पर भी बम हो सकता है, या फिर घर के अन्दर से लेकर बहार तक इस संसार को जन्म देने वाली स्त्री इतनी असुरक्षित है की वो किसी पर भरोसा नहीं कर सकती।
आखिर किस जगह खड़े है हम और इस तरह कब तक जी पाएंगे इसका जवाब ढूढना होगा, हमें ये सब बदलना होगा वरना होली का रंग फीका पड़ जायेगा और नफरत का रंग हमारे जीवन को खून से लाल कर देगा।

Thursday, March 14, 2013

hey ishwar hame maaf kare ,,,hum apraadhi hai

विनाश के देव शिव शंकर को इस महाशिवरात्रि पर मेरा प्रणाम और सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें
मैंने अपने जीवन के इतने सालों में कभी भी स्वयं को भक्ति में बहुत लीन महसूस नहीं किया परन्तु मन में हमेशा ये जिज्ञासा रही है की इश्वर के बनाये इस संसार को समझ सकू, की आखिर इतनी बड़ी व्यवस्था चलती किस तरह से है. सिर्फ मेरे ही मन में नहीं परन्तु मुझे ऐसा लगता है की सभी के मान में ये बात जरुर आती है की इस संसार के जीवन चक्र में इतने कष्ट क्यों है ? अगर इश्वर हमारा पिता है तो वो अपने बच्चो को इतने कष्ट में कैसे देख सकता है ? जीवन भर उसकी पूजा करने वाले इतना दुःख क्यों उठाते है ? और व्यभिचारी तथा दुराचारी हमेशा धन संपन्न क्यों होते है ? उन्हें दंड क्यों नहीं मिलता है ?
सोचें तो यह कितना अजीब है मगर सत्य भी , की यह पता ही नही की सही कर रहे है तो परिणाम भी अच्छा  ही होगा। शायद यही वजह है की व्यक्ति निडर होता जा रहा है और लगातार गलत काम करता जा रहा है। ऐसे में इश्वर क्यों नहीं  धरती पर आता है और अपने बच्चो को सदाचार का पाठ पढ़ता है। जैसे हर माता  पिता अपनी संतान को गलत सही के विषय में बताते है उसी प्रकार से वो भी क्यों नहीं आता है .
मगर शायद वो हमसे रूठ गया  है क्यूंकि उसने हमें इतनी खूबसूरत जगह दी रहने के लिए और हमने उसे छिन्न - भिन्न कर दिया और ये उसका अधिकार है की वो हमसे नाराज रहे और तब तक नाराज़ रहे जब तक हम फिर से इस धरती को उसके निवास के लिए सुन्दर न बना दे.
तब हमें अपने सवालों के जवाब स्वयं मिल जायेंगे और हमारा जीवन पवित्र हो जायेगा।
" हे इश्वर हमें माफ़  करें , हम  अपराधी है। हमसे बहुत बड़ी गलती हुई है और अपनी इस गलती को सुधरने के लिए हम हर प्रयत्न करेंगे। और आपको प्रसन्न करेंगे। हमें इतनी शक्ति दे की हम अपनों आप को बदल सकें, और आपका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें"
अगर अपने इस जीवन में इस वादे का एक  भाग भी हम पूरा कर सके तो भगवान् हमें जरुर माफ़ करेगा।